महादेव की नगरी, इन दिनों गंगा की विकरालता से जूझ रही है। लगातार हो रही बारिश और गंगा के खतरे के निशान को पार करने के चलते शहर के कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। रविवार सुबह गंगा का जलस्तर 72 मीटर से ऊपर चला गया, जिससे न सिर्फ गंगा बल्कि वरुणा नदी में भी उफान आ गया है।शहर की गलियां, सड़कें और घाट अब जलमग्न हैं। घर, दुकानें, स्कूल, अस्पताल सब पानी में डूबे हैं। लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। अब तक 6 हजार से अधिक परिवार अपना घर छोड़ चुके हैं। इनमें से 600 से ज्यादा लोग सरकारी राहत शिविरों में पहुंचाए गए हैं, जबकि सैकड़ों अन्य किराए के मकानों या रिश्तेदारों के घरों में शरण लिए हुए हैं।बाढ़ से 1,500 से ज्यादा किसानों की फसलें पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं। ग्रामीण इलाकों जैसे रामपुर ढाब, मुस्तफाबाद, जाल्हूपुर, अम्बा, बभनपुरा, टेकरी और चांदपुर सहित 30 से अधिक गांव पानी से घिरे हुए हैं। शहर के अंदरूनी हिस्सों जैसे सलारपुर, कोनिया, दानियालपुर, ढेलवरिया, सारनाथ, नगवां, अस्सी और दशाश्वमेध जैसे इलाके भी बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं।जिला प्रशासन ने 20 बाढ़ राहत शिविर बनाए हैं,
जहां प्रभावित लोगों के लिए भोजन, दवाएं, दूध, बिस्कुट और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध कराया जा रहा है। अब तक 20 हजार से अधिक लंच पैकेट बांटे जा चुके हैं। NDRF की 8 बोट और प्रशासन की 50 नावों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।पशुओं के लिए भी विशेष व्यवस्था की गई है अब तक 1765 कुंतल भूसा वितरित किया जा चुका है। साथ ही 454 राहत किट और आवश्यक दवाएं भी लोगों को दी गई हैं।