महिला अध्ययन एवं विकास केंद्र, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) द्वारा आयोजित व्याख्यान ‘आंडाल: स्त्री भाव और स्त्री भाषा’ विषय पर समकालीन आलोचना परिदृश्य की वरिष्ठ विद्वान प्रो. रोहिणी अग्रवाल ने स्त्री दृष्टि, भाषा और अस्मिता पर आधारित विचारों को गहराई से प्रस्तुत किया।प्रो. अग्रवाल ने कहा कि "आंडाल की कविता स्त्री दृष्टि के वैभव और उसकी अस्मिता का प्रस्फुटन है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि स्त्री भाव का अर्थ केवल भावुकता नहीं, बल्कि एक ऐसी संवेदना है जिसमें विचार और विश्लेषण की ताकत है। उन्होंने कहा कि आंडाल कांता भाव से कविताएं रचती हैं और उनकी भाषा स्त्री भाषा का प्रतीक है — वह भाषा जो पुरुष दृष्टि से अलग एक नई वैचारिक संरचना और अस्मिता संघर्ष को रेखांकित करती है।उन्होंने बताया कि पितृसत्ता समाज में परिवार, विवाह, धर्म, न्याय और मीडिया के रूप में कार्य करती है और स्त्री विमर्श ने 20वीं शताब्दी में इन स्थापित मूल्यों को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि हम भाषा के पीछे छिपे सांस्कृतिक षड्यंत्रों को अक्सर नहीं समझते, और इसी वजह से स्त्री भाषा की नई आधारभूमि बनानी जरूरी है।
प्रो. आशीष त्रिपाठी, केंद्र समन्वयक, ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि आंडाल वैदिक ऋषिकाओं और थेरियों के बाद स्त्री चेतना की महत्वपूर्ण आवाज़ हैं। उनकी कविताओं में स्त्री देह और स्त्रीत्व का उत्सव है, जो अकुंठ भाव से प्रकट होता है।कार्यक्रम का संचालन डॉ. रविशंकर सोनकर ने किया और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मीनाक्षी झा ने प्रस्तुत किया।इस अवसर पर प्रो. मंगला कपूर, प्रो. वशिष्ठ नारायण त्रिपाठी, प्रो. दीनबंधु तिवारी, प्रो. मनोज कुमार सिंह, प्रो. प्रभाकर सिंह सहित विश्वविद्यालय के छात्र, शोधार्थी और शिक्षक उपस्थित रहे।