भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक रक्षाबंधन के पावन अवसर पर, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय अंतर्गत समन्वित ग्रामीण विकास केंद्र की महिलाओं ने सीमा पर तैनात जवानों की कलाई खाली न रहे, इसके लिए एक सराहनीय पहल की है। सिलाई केंद्र में प्रशिक्षण प्राप्त कर रही बहनों ने अपने हाथों से सैकड़ों सुंदर रक्षा सूत्र (राखियां) तैयार की हैं।इन बहनों का उद्देश्य सिर्फ राखी बनाना नहीं, बल्कि सैनिक भाइयों को यह संदेश देना है कि देश की जनता उनके त्याग और समर्पण को कभी नहीं भूलती।
यह पहल उन जवानों के लिए एक भावनात्मक सहारा बन रही है, जो पर्व के दिन भी देश की सेवा में अपने घरों से दूर रहते हैं। समन्वयक प्रो. आलोक कुमार पांडेय ने बताया कि महिलाओं ने न केवल रक्षा सूत्र बनाए हैं बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि आत्मनिर्भरता और देशभक्ति साथ-साथ चल सकती है। प्रशिक्षिका आरती विश्वकर्मा के मार्गदर्शन में महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई सहित कई हुनर सिखाए जा रहे हैं, जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें। परियोजना अधिकारी डॉ. भूपेंद्र प्रताप सिंह ने जानकारी दी कि यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त महिलाएं न केवल आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि अब वे खुद के केंद्र खोलकर दूसरों को भी प्रशिक्षित कर रही हैं। रक्षा सूत्र निर्माण में अनिता कुमारी, महिमा मौर्या, पिंकी पांडे, नीलू कुमारी, दिव्या शुक्ला, ज्योति पटेल, रोमा सिंह, और काजल यादव सहित दर्जनों महिलाओं ने श्रम और भावनाओं से योगदान दिया।