सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के बीच जस्टिस प्रशांत कुमार मामले को लेकर तनातनी बढ़ गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जस्टिस प्रशांत कुमार अब रिटायरमेंट तक आपराधिक मामलों की सुनवाई नहीं करेंगे। वजह यह थी कि उन्होंने एक सिविल विवाद में क्रिमिनल समन को सही ठहराया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर गलती माना और तीखी टिप्पणी की।
इस आदेश से हाईकोर्ट के कई जज नाराज हो गए। जस्टिस अरिंदम सिन्हा ने चीफ जस्टिस अरुण भंसाली को चिट्ठी लिखकर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बिना नोटिस के आदेश दिया और आदेश की भाषा भी आपत्तिजनक है। उन्होंने फुल कोर्ट मीटिंग बुलाने की मांग की, जिस पर 12 अन्य जजों ने भी हस्ताक्षर किए। मुख्य न्यायाधीश CJI बीआर गवई ने भी सुप्रीम कोर्ट की बेंच को लेटर भेजकर आदेश और टिप्पणियों पर पुनर्विचार करने को कहा। इसके बाद जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने अपना आदेश वापस ले लिया। इधर, सुप्रीम कोर्ट ने एक और मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की कार्यवाही पर नाराजगी जताई। यह मामला एक दोषी की चार साल की सजा निलंबित करने से जुड़ा था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने कानूनी सिद्धांतों को नजरअंदाज किया। कोर्ट ने केस वापस हाईकोर्ट को भेजते हुए 15 दिन में नया आदेश देने को कहा। अब इस पूरे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज 8 अगस्त दोबारा सुनवाई होगी, और खास बात यह है कि सुनवाई उसी बेंच के सामने होगी, जिसने पहले आदेश दिया था।