भाई-बहन के अटूट प्रेम और भाई की लंबी उम्र की कामना के लिए हर साल मनाए जाने वाले पर्व भैया दूज के अवसर पर वाराणसी के पिंडरा क्षेत्र में महिलाओं ने विशेष पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों के लिए दीर्घायु और खुशहाली की प्रार्थना करती हैं।ग्रामीण क्षेत्रों में यह परंपरा विशेष रूप से मंगारी, गंगापुर, नेवादा और नहिंयां सहित कई गांवों में प्रचलित है। पूजा में महिलाएं गाय के गोबर से पूजा स्थल का लेपन करती हैं और गौरी-गणेश की प्रतिमा बनाकर उनकी आराधना करती हैं। यह परंपरा भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और भाई की लंबी उम्र की कामना के साथ निभाई जाती है।भाइयों को तिलक करने के लिए पूजा की थाली में रोली, अक्षत, सिंदूर, कलावा, घी का दीपक और मिठाई रखी जाती है।
बहनें अपने भाई को घर बुलाकर लकड़ी की चौकी पर बिठाती हैं और माथे पर लाल रंग का रुमाल रखकर पूजा प्रारंभ करती हैं। सबसे पहले बहनें सूखा नारियल भेंट करती हैं, फिर रोली और अक्षत से तिलक करती हैं और भाई की आरती उतारती हैं। इसके बाद उन्हें मिठाई खिलाई जाती है।भाई बदले में बहन को उपहार देकर उनकी रक्षा का वचन लेते हैं। इस पर्व ने वाराणसी के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में भाई-बहन के रिश्तों की मधुरता और परिवारिक प्रेम को जीवंत रखा।