चंद्रयान-3 मिशन की सफलता ने भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाई है। यह मिशन न केवल तकनीकी दृष्टि से बल्कि वैज्ञानिक खोजों के लिहाज से भी ऐतिहासिक रहा है। इसरो प्रमुख डॉ. वी. नारायणन ने वाराणसी स्थित IIT-BHU के दीक्षांत समारोह में कहा कि चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर आठ नए खनिजों की खोज की है, जिनमें लोहा, मैंगनीज, सिलिकॉन, टाइटेनियम जैसे महत्वपूर्ण तत्व शामिल हैं। मिशन के पेलोड्स ने कई अहम आंकड़े भेजे हैं, जिनसे यह जानकारी मिली है कि चंद्रमा अब भी भूगर्भीय रूप से सक्रिय है। चंद्रमा की सतह पर भूकंपीय हलचल दर्ज की गई है और इलेक्ट्रॉन क्लाउड का भी पता चला है, जो उसके वायुमंडलीय प्रभाव और सौर विकिरण से जुड़ी अहम जानकारी देता है।डॉ. नारायणन ने कहा कि जब 90 के दशक में अन्य देशों ने भारत को क्रायोजेनिक इंजन तकनीक देने से मना कर दिया था, तब भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वयं अध्ययन और अनुसंधान कर अपनी तकनीक विकसित की। इसी का परिणाम है कि आज भारत हाई पावर रॉकेट जीएसएलवी बनाने में सक्षम हुआ और चंद्रयान-3 की सफलता में इसका बड़ा योगदान रहा। उन्होंने कहा कि 50 साल पहले साइकिल से शुरू हुआ भारत का अंतरिक्ष सफर आज चंद्रमा और मंगल ग्रह तक पहुंच चुका है।इसरो प्रमुख ने बताया कि भारत अब अपने स्वयं के सैटेलाइट संचार नेटवर्क की दिशा में काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश के सुदूरवर्ती और सीमावर्ती इलाकों तक तेज गति का इंटरनेट पहुंचाना है।
इसके साथ ही इसरो का अगला बड़ा लक्ष्य वर्ष 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन BAS की स्थापना करना है। इस स्टेशन में भारतीय वैज्ञानिक जैविक, रासायनिक, भौतिक और तकनीकी प्रयोग करेंगे। इसके शुरुआती मॉड्यूल 2027 से अंतरिक्ष में भेजे जा सकते हैं। यह परियोजना पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगी।उन्होंने बताया कि इसरो नई पीढ़ी के लॉन्च व्हीकल और प्रणोदन प्रणाली के विकास में भी जुटा है, जिससे रॉकेट की वहन क्षमता और पुनः उपयोग की क्षमता में वृद्धि होगी। इससे मिशन की लागत कम होगी और विश्वसनीयता बढ़ेगी। इसरो सैटेलाइट डेटा के माध्यम से गंगा संरक्षण और कृषि निगरानी की योजना पर भी कार्य कर रहा है।डॉ. नारायणन ने कहा कि ‘गगनयान मिशन’ के तहत तीन बिना मानव वाले मिशन पूरे किए जाएंगे। इसके बाद 2027 की पहली तिमाही तक मानवयुक्त गगनयान मिशन लॉन्च किया जाएगा। दिसंबर 2025 में ‘व्योममित्रा’ रोबोट की उड़ान प्रस्तावित है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्पष्ट विजन और सुधारों की वजह से इसरो आज आत्मनिर्भर और सशक्त स्पेस इकोसिस्टम की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।अंत में उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में योगदान दें, क्योंकि आने वाला दशक भारत के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता और वैश्विक नेतृत्व हासिल करने का होगा