जिले के मोतीगंज थाना क्षेत्र के किनकी गांव निवासी 35 वर्षीय संजय सोनकर की आरपीएफ हिरासत में मौत के बाद क्षेत्र में तनाव फैल गया है। परिजनों का आरोप है कि रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के जवानों ने चोरी के शक में पूछताछ के दौरान संजय की बेरहमी से पिटाई की और करंट दिया, जिससे उसकी तबीयत बिगड़ गई। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।सुबह आरपीएफ के सब-इंस्पेक्टर सुरेंद्र कुमार, करण सिंह यादव और कांस्टेबल अमित कुमार यादव ने संजय को हिरासत में लिया था। परिजनों का कहना है कि जब वह वापस घर लौटा तो उसकी हालत बेहद खराब थी और वह खून की उल्टी कर रहा था। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसकी मौत हो गई।संजय की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों और ग्रामीणों ने जमकर हंगामा किया और पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की।
मृतक के भाई राजू सोनकर ने तीनों आरपीएफ कर्मियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है।मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग ने तत्काल प्रभाव से दो सब-इंस्पेक्टर और एक कांस्टेबल को निलंबित कर लाइन हाजिर कर दिया है। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है और बिसरा सुरक्षित रखा गया है।आरपीएफ प्रवक्ता ने बताया कि पूछताछ के दौरान संजय अचानक अस्वस्थ हो गया था, जिसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया। मौत का कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से स्पष्ट होगा।हिरासत में मौत का यह मामला मानवाधिकार और पुलिस जवाबदेही से जुड़ा गंभीर सवाल खड़ा करता है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण अस्पष्ट रहने से पारदर्शिता और निष्पक्षता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आरपीएफ जैसे सुरक्षा बल की छवि भी इस घटना से प्रभावित हुई है।पुलिस और आरपीएफ दोनों विभागों की आंतरिक जांच चल रही है। प्रशासन ने निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। वहीं, मृतक के परिजन न्याय की मांग पर अड़े हैं।

