बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के भारत कला भवन में सोमवार को युवा मूर्तिकार राजीव रंजन की एकल मूर्तिकला प्रदर्शनी का भव्य उद्घाटन हुआ। प्रदर्शनी का आकल्पन वरिष्ठ कवि एवं प्रसिद्ध कला-आलोचक व्योमेश शुक्ल ने किया, जबकि दृश्य कला संकाय के पूर्व संकाय प्रमुख प्रो. हीरालाल प्रजापति विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।राजीव रंजन की मूर्तियाँ मुख्यतः पीतल और कांस्य जैसे पारंपरिक माध्यमों में निर्मित हैं, जिनमें भारतीय शिल्प परंपरा और आधुनिक संवेदनशीलता का अद्भुत संगम झलकता है।
पीतल की मूर्तियाँ अपनी धात्विक चमक और सूक्ष्म बारीकियों से दर्शकों को आकर्षित करती हैं, जबकि कांस्य कृतियाँ दृढ़ता और आत्मविश्वास का प्रतीक बनकर सामने आती हैं।राजीव रंजन की कला में भारतीय मूर्तिकला की आत्मा जीवित है। उनकी प्रत्येक कृति दर्शक से संवाद करती है और भीतर तक आत्मबोध कराती है।”यह प्रदर्शनी युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। राजीव रंजन ने परंपरा और नवाचार के बीच एक सशक्त पुल का निर्माण किया है।”कार्यक्रम में कला-जगत के विद्वान, विद्यार्थी, संस्कृति-प्रेमी और कलाकार के माता-पिता भी उपस्थित रहे।यह प्रदर्शनी 7 नवंबर तक दर्शकों के लिए खुली रहेगी।

