अमेरिका की यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने वर्ष 2025 की वार्षिक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में बाबरी मस्जिद विवाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का उल्लेख किया गया। रिपोर्ट में RSS पर धार्मिक नीतियों से लेकर स्कूली पाठ्यक्रम में बदलाव तक कई आरोप लगाए गए।इस रिपोर्ट पर अखिल भारतीय संत समिति ने नाराजगी व्यक्त की। समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि यह भारत की समावेशी सांस्कृतिक विरासत, देश की संप्रभुता और सभी नागरिकों को मिली संवैधानिक गारंटी का घोर अपमान है।
वहीं, राम मंदिर कानूनी मामले से जुड़े एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने भी USCIRF की टिप्पणी को पक्षपातपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार कई मस्जिदें मंदिरों को तोड़कर बनाई गई थीं, जिनके प्रमाण आज भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की रिपोर्टें देश में अनावश्यक तनाव पैदा करती हैं और भारत की आंतरिक सांस्कृतिक व धार्मिक संरचना को गलत तरीके से प्रस्तुत करती हैं।USCIRF की रिपोर्ट पर भारतीय पक्षकारों की यह नाराजगी एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर उठने वाले सवालों को चर्चा में ले आई।
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