श्री देव दीपावली एवं आरती महासमिति की बैठक सम्पन्न, 56 घाटों पर होगी भव्य आरती

श्री देव दीपावली एवं आरती महासमिति ने वर्ष 2025 की देव दीपावली की तैयारियों की घोषणा कर दी है। इस बार देव दीपावली का आयोजन नशा मुक्त भारत अभियान, गौ-गंगा-गीता, नारी सशक्तिकरण, राष्ट्रीय एकता और सनातन एकता को समर्पित रहेगा। महासमिति के अध्यक्ष आचार्य वागीश दत्त मिश्र एवं उपाध्यक्ष पं. गंगाधर उपाध्याय ने बताया कि इस वर्ष सजावट और झांकियों के माध्यम से सामाजिक संदेश दिए जाएंगे। दशाश्वमेध घाट और राजघाट पर “ऑपरेशन सिंदूर” की झलक देखने को मिलेगी, जबकि अन्य घाटों पर गौ, गंगा, गीता और नशा मुक्ति के संदेश प्रदर्शित किए जाएंगे। सर्वश्रेष्ठ सजावट के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार भी प्रदान किए जाएंगे।

देव दीपावली के अवसर पर इस वर्ष 56 घाटों पर गंगा आरती और लगभग 11 किलोमीटर लंबा दीपोत्सव क्षेत्र बनाया जाएगा। गंगा, वरुणा और गोमती तट दीपों की अद्भुत झिलमिलाहट से जगमगाएंगे।महासमिति के सदस्यों ने बताया कि वर्ष 2000 से देव दीपावली का विस्तार घाटों से आगे बढ़कर कुंडों और तालाबों तक किया गया। रामकुंड से शुरू यह परंपरा अब 90 से अधिक कुंडों और तालाबों तक पहुँच चुकी है, जहाँ स्वच्छता, जल संरक्षण और वृक्षारोपण से जुड़ी गतिविधियाँ की जाती हैं। महासमिति ने बताया कि अब देव दीपावली का उत्सव देश-विदेश के 10 से अधिक देशों तक फैल चुका है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अभियान के रूप में स्थापित किया जा रहा है। आचार्य वागीश दत्त मिश्र ने पंचगंगा घाट स्थित हरकी महारानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा निर्मित प्राचीन दीप स्तंभों और मंदिरों के संरक्षण की मांग करते हुए कहा कि यह देव दीपावली की ऐतिहासिक परंपरा के जीवंत प्रमाण हैं, जिनका संरक्षण आवश्यक है। उन्होंने कहा कि देव दीपावली केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि सनातन एकता, सामाजिक जागरूकता और राष्ट्रीय एकजुटता का प्रतीक बन चुकी है।



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