कार्तिक पूर्णिमा की पावन रात को काशी नगरी ने देव दीपावली के अवसर पर अद्भुत, अलौकिक और दिव्य नज़ारा प्रस्तुत किया। गंगा तट पर लाखों दीपों की अविरल श्रृंखला ने पूरे शहर को जगमगा दिया। हर घाट से उठती दीपों की रौशनी जब गंगा के जल में प्रतिबिंबित हुई, तो दृश्य ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वर्ग धरती पर उतर आया हो।गंगा आरती के दौरान "हर हर महादेव" और "हर हर गंगे" के जयघोष से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय बन गया।
श्रद्धालुओं ने दीपदान करते हुए माता गंगा से देश की समृद्धि और शांति की कामना की।आसमान में रंग-बिरंगी आतिशबाज़ी ने इस पावन उत्सव को और भी भव्य बना दिया। गंगा किनारे जुटे देश-विदेश से आए श्रद्धालु इस अद्भुत दृश्य को निहारते रह गए। घाटों की सजावट, दीपों की झिलमिलाहट और गंगा की लहरों पर तैरते दीपों ने देव दीपावली को यादगार बना दिया।काशी की इस अलौकिक रात ने यह संदेश दिया कि प्रकाश ही जीवन है, और गंगा की आराधना ही आत्मिक शांति का मार्ग।

