भारत ने ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट (LRGR-120) का पहला सफल फ्लाइट टेस्ट किया। इस दौरान रॉकेट को उसकी अधिकतम 120 किलोमीटर की रेंज तक दागा गया। उड़ान के दौरान रॉकेट ने सभी निर्धारित इन-फ्लाइट मैन्युवर सफलतापूर्वक पूरे किए और तय लक्ष्य पर सटीक वार किया।परीक्षण के दौरान रेंज में तैनात सभी ट्रैकिंग सिस्टम ने रॉकेट की पूरी उड़ान पर नजर रखी। यह सफल परीक्षण रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा किया गया। खास बात यह रही कि इसी दिन रक्षा मंत्रालय की रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने पिनाका लॉन्ग रेंज गाइडेड रॉकेट को भारतीय सेना में शामिल करने की मंजूरी भी दी।
DAC की बैठक में करीब ₹79 हजार करोड़ के सैन्य उपकरणों की खरीद को स्वीकृति दी गई। इसमें मिसाइलें, रॉकेट और रडार सिस्टम शामिल हैं। पिनाका सिस्टम के लिए लंबी दूरी के गाइडेड रॉकेट भी खरीदे जाएंगे। सेना के लिए इंटीग्रेटेड LRGR को आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट ने हाई एनर्जी मटीरियल्स रिसर्च लैबोरेटरी के साथ मिलकर डिजाइन किया है, जबकि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी और रिसर्च सेंटर इमारत ने इसके विकास में सहयोग किया है।फ्लाइट टेस्टिंग का संचालन इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज और प्रूफ एंड एक्सपेरिमेंटल एस्टेब्लिशमेंट ने किया। इस परीक्षण में रॉकेट को भारतीय सेना में पहले से इस्तेमाल हो रहे पिनाका लॉन्चर से दागा गया, जिससे यह साबित हुआ कि एक ही लॉन्चर से अलग-अलग रेंज वाले पिनाका रॉकेट्स दागे जा सकते हैं।
पिनाका रॉकेट सिस्टम भारत का स्वदेशी मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) हथियार है, जिसे DRDO ने विकसित किया है। भारतीय सेना इसका उपयोग लंबी दूरी तक सटीक हमलों के लिए करती है। यह GPS नेविगेशन की मदद से तेज और बेहद सटीक वार करने में सक्षम है। पिनाका लॉन्चर ट्रक पर आधारित होता है, जिसमें 12 रॉकेट ट्यूब लगी होती हैं और यह कम समय में कई रॉकेट दागकर दुश्मन पर भारी हमला कर सकता है।पिनाका को स्वदेशी हथियार प्रणालियों में एक बेहद सफल सिस्टम माना जाता है। रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी इसे सफलता मिली है। आर्मेनिया भारत से पिनाका सिस्टम खरीद चुका है, जबकि फ्रांस समेत कई यूरोपीय देशों ने इसमें रुचि दिखाई है।इस उपलब्धि पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO को बधाई दी और कहा कि लंबी दूरी के गाइडेड रॉकेट का सफल परीक्षण भारतीय सशस्त्र बलों की मारक क्षमता को और मजबूत करेगा।

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