हम दुखी हैं, चिंतित हैं, क्रोधी हैं। क्यों? क्योंकि हम परिस्थितियों पर निर्भर हैं। जबकि हमें आत्मनिर्भर होना है अर्थात् अपनी आत्मा पर निर्भर होना है न कि परिस्थितियों पर। जब हम अपनी आत्मा पर निर्भर हो जाएंगे तो हमारे मन का रिमोट हमारे हाथ में होगा। तब हम परिस्थितियों के गुलाम नहीं अपने मन के मलिक होंगे। अपने मन का मालिक बन कर ही हम स्वयं को परमात्मा की सच्ची और अच्छी संतान प्रमाणित कर सकते हैं। यह कहना है अंतरराष्ट्रीय ख्याति की प्रेरक वक्ता ब्रह्माकुमारीज की सिस्टर शिवानी का।
वह सोमवार की शाम काशी विद्यापीठ के खेल मैदान में 15 हजार से अधिक लोगों को अपना जीवन सरल, सहज और सौहाद्रपूर्ण बनाने के लिए सूत्र बता रही थीं। संवाद शैली में संबोधन की शुरुआत उन्होंने संकल्प दिला कर की। सभी को एक मिनट के लिए मौन हो जाने को कहा। इसके बाद कहा मैं जो 'बोल रही हूं उसे दोहराएं। उन्होंने बोलना शुरू किया 'मैं अजर, अमर, अविनाशी आत्मा हूं। शांति मेरा स्वधर्म है। शांति मेरा संस्कार है। हम हर परिस्थिति में शांत रहने वाले शांति स्वरूप आत्मा है। शिवानी दीदी के साथ साथ मैदान में मौजूद हजारों नर-नारी शांतचित्त होकर यह शब्दावली दोहराते रहे।
इसके बाद उन्होंने बताना शुरू किया कि कैसे हम परमात्मा की संतान हैं तो उसके जैसे ही क्यों नहीं बन पा रहें हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि हमने खुद को दूसरों के हवाले छोड़ दिया है। यही नहीं हमने खुश होना भी परिस्थितियों के अनुसार सीख लिया है। मुख्य सत्र के आरंभ होने से पहले शहर के विभिन्न विद्यालयों एवं संगठनों की बालिकाओं ने विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस मौके पर ब्रह्माकुमारीज की ओर से पूर्वाचल और नेपाल की निदेशक सुरेंद्र दीदी, पर्णिता दीदी, रंजना दीदी, राज्यमंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र', राज्यसभा सदस्य सीमा द्विवेदी, काशी विद्यापीठ के कुलपति प्रो. आनंद कुमार त्यागी, महापौर अशोक तिवारी, राजेश द्विवेदी, विधायक डॉ. नीलकंठ तिवारी, मंडलायुक्त कौशलराज शर्मा, जिलाधिकारी एस. राजलिंगम सहित अन्य लोग शामिल रहे।
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